होली का आतंक
आज सुबह से गली में होली का बाल आतंक । घर से बाहर निकलना दूभर । एक तरफ मन में एक छोटा सा भय कि बाहर गए तो ये बच्चे रंग देंगे! लेकिन अगर आज रंगे न गए तो वो भी ठीक नहीं होगा । किसी ने रंग डाल दिया तो गुस्से से चिल्ला उठे लेकिन मन ही मन प्रसन्न भी हो गए कि चलो इसने अपना समझ कर ही तो रंग डाला और रंग डालकर हमें भी रंग डालने का अवसर दिया फिर क्या सबेरे से किचन में पुए पूरियाँ बनाने में व्यस्त भाभी जी को एक मौका ही तो चाहिए था अब न बचने वाला कोई बिना रंगे ।
छोटे भैया को अपने पढ़ाई की चिंता । सुबह सुबह बैठ गए पुस्तक लेकर । लेकिन मन कहाँ लगे परंतु कम्पटीशन की तैयारी जो करनी है। इतने में पड़ोस का छोटू नंदू आया और छोटे भैया पर भर पिचकारी रंगों की बौछार कर दी । छोटे भैया को तो बस मौके की तलाश थी । झल्ला कर उठ पड़े नंदू के ऊपर । लेकिन अब कौन बचे उनके आतंक से, हांथो में रंग लगाया और धर लिया नंदू को कर दिया उसका मूह नीला पिला ।
होली का आतंक ऐसा आतंक जिसमे रंगो की गोली खाने में बड़ा मजा आता । हर भेद भाव भूल कर रँगने और रंगवाने में बड़ा मजा आता है ।
#हैप्पी #होली
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